बर्न: शोधकर्ताओं ने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है जिससे लीवर में अनियंत्रित कैंसर सेल्क को बढ़ने से रोका जा सकता है। एलएचपीपी नाम का ये प्रोटीन लीवर कैंसर की पहचान और उसका निदान करने में बायोमार्कर का काम करेगा। नेचर जर्नल में छपी इस शोध का नेतृत्व स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल के माइकल एन. हॉल ने किया है। लीवर कैंसर को रोकने के लिए शोधकर्ताओं को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। शोधकर्ताओं ने ऐसे प्रोटीन की खोज की है जिससे कैंसर की अनियंत्रित सेल्स को बढ़ने से रोक सकती है। स्विट्जरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल के माइकल एन. हॉल के नेतृत्व में हुई शोध में पाया गया है
प्रोटीन एलएचपीपी की कमी ट्यूमर को बढ़ाती है और मरीज के बचने की संभावना को कम कर देती है।शोधकर्ताओं का कहना है कि लीवर कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। लीवर कैंसर, जिसे Hepatocellular Carcinoma भी कहते हैं, उसका इलाज काफी लेट स्टेज पर होता है। इतनी लेट स्टेज पर लीवर काफी डैमेज हो चुका होता है और उसका इलाज ज्यादा असर नहीं देता। शोधकर्ताओं का मानना है कि कैंसर-विरोधी प्रोटीन एलएचपीपी की बायोमार्कर के तौर पर पहचान कर डॉक्टर बेहतर ट्रीटमेंट दे पाएंगे।
शोधकर्ताओं ने एक माउस मॉडल के जरिये इसका पता लगाया। उन्होंने स्वस्थ और ट्यूमर टिशू में 4,000 से अधिक प्रोटीन का विश्लेषण किया। एक एंजाइम जो शीर्ष पसंद के रूप में उभरा, वो था हिस्टीडाइन फॉस्फेट एलएचपीपी। यूनिवर्सिटी ऑफ बेसल के श्रवनाथ हिंदूपुर ने कहा, ‘ये काफी दिलचस्प है कि एलएचपीपी हेल्दी टिशू में मौजूद है और ट्यूमर टिशू में ये बिल्कुल भी नहीं है। माउस मॉडल की ही तरह हमने लीवर कैंसर वाले रोगियों के ट्यूमर में एलएचपीपी स्तर में लगातार कमी देखी है।’